कहने को तो अकबरपुर डिपो के बेड़े में 63 बसें शुमार हैं। डिपो को वर्ष 2009 में आठ नई बसें एवं वर्ष 2010 में अमेठी डिपो से चार पुरानी बसें प्राप्त हुई थी। विभाग द्वारा टांडा-लखनऊ, टांडा-इलाहाबाद, टांडा-गोरखपुर, राजेसुल्तानपुर-कानपुर, राजेसुल्तानपुर लखनऊ, राजेसुल्तानपुर-फैजाबाद, राजेसुल्तानपुर-गोरखपुर, सम्मनपुर-लखन, राजेसुल्तानपुर-इलाहाबाद, राजेसुल्रतानपुरपुर-दिल्ली, राजेसुल्तानपुर-बनारस सहित अन्य लंबी दूरी के मार्गो पर बसों का संचालन किया जा रहा है। इल्तिफातगंज एवं महरुआ मार्ग पर एक भी बस का संचालन नहीं किया जा रहा है। महरुआ मार्ग पर वर्तमान समय में बसों का संचालन सुल्तानपुर डिपो से ही कराया जा रहा है। अकबरपुर से टांडा मार्ग पर चलने वाली बसों की संख्या में कमी की गई है। टांडा से फैजाबाद के लिए सुबह के समय तो परिवहन निगम द्वारा महज दो बसें ही संचालित हो रही है। बाकी समय लोगों का डग्गामार वाहनों से यात्रा के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिला मुख्यालय से दोस्तपुर, मालीपुर मार्ग का भी यही हाल है। इन मार्गो पर भी विभाग अब समुचित संख्या में बसों का संचालन शुरू नहीं कर सका है।
अंबेडकरनगर, पूर्ववर्ती बसपा सरकार में परिवहन मंत्री रामअचल राजभर के गृह जनपद रहे अंबेडकरनगर जिले में परिवहन सेवाएं जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है। सभी महत्वपूर्ण मार्गो पर परिवहन निगम ने बसों का संचालन कर रखा है, परंतु यह यातायात को सुगम बनाने के लिए नाकाफी है। इस वजह से जिले के नागरिक डग्गामार वाहनों में बैठकर गंतव्य तक पहुंचने को मजबूर हैं। डग्गामारी से विभाग की आय पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।
कहने को तो विभागीय अभिलेखों में जिले के सभी मार्गो पर बस सेवा संचालित हो रही है। पर इस दावे की जमीनी हकीकत इससे इतर ही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले के सभी मार्गो पर लोगों को डग्गामार वाहनों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है।
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